राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की बदहाली को लेकर दायर जनहित याचिका के मामले में पूर्व आदेश के अनुसार राज्य सरकार को 2 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का समय दिया था. एफिडेविट जमा ना करने पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को जमकर लताड़ लगाई 16 मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश|
मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश दिलीप बी भोसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की बेंच अगली सुनवाई से पूर्व जवाब दाखिल नहीं होता तो उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) को न्यायालय में उपस्थित होकर जवाब देना होगा.
प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत चल रही तमाम योजनाओं में अनियमितता को लेकर विश्व मानव सेवा समर्पण सेवा संस्थान, इलाहाबाद की ओर से एक जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के उद्देश्यों के तहत बाल सुरक्षा योजना, एकीकृत बाल विकास योजना, जननी सुरक्षा योजना, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम संचालित कर मातृत्व और शिशु मृत्यु दर को कम करने का लक्ष्य रदेश के सरकारी अस्पतालों में योजनाओं की बदहाली के कारण यह लक्ष्य हासिल नहीं हो पा रहा है
याची सुनील कुमार पांडेय ने बताया की स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के भ्रष्ट रवैये के कारण सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं दम तोड़ दे रही हैं. इससे ग्रामीण और शहरी इलाकों के अस्पतालों की स्थिति बेहद खराब होती जा रही है. जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत बीत रहे वित्तीय वर्ष में 81 करोड़ रूपये बजट के व्यय में भी धांधली की गई है. सरकारी अस्पतालों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति जर्जर है और अफसर भ्रष्टाचार में लगे हैं. सरकार की किसी भी योजना का पूरा लाभ जनता तक नहीं पहुंच पा रहा है. इससे जनता में सरकार के खिलाफ असंतोष भी बढ़ रहा है. मामले की पैरवी एडवोकेट शशि शेखर मिश्र और एडवोकेट संतोष यादव कर रहे हैं.