हजारों वर्ष पूर्व से महिमा-मंडित, खुरहान के डाकिनी मंदिर , छिन्नमस्तिके डाकिनी मंदिर अपनी महत्ता

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हजारों वर्ष पूर्व से महिमा-मंडित, खुरहान के डाकिनी मंदिर
खुरहान में हजाऱों वर्ष पूर्व से है डाकिनी मंदिर ,
श्रद्धालुओं के लिए आस्था व विष्वास का कें्रद
कुंए का नीर आज भी घेघा रोग के लिए लाभप्रद
इसके अलावा भी मंदिर के कई पौरानिक कथा है
पूर्व में देखे जाते थे बोच और कुएं से उबलता दूध
आलमनगर
हजारों वर्ष पूर्व अवषेष पर स्थापित खुरहान के छिन्नमस्तिके डाकिनी मंदिर अपनी महत्ता को स्वयं उजागर करती है। यह मंदिर मधेपुरा हीं नहीं बिहार में चर्चित देवस्थलों में गिना जाता है। हालांकि बिहार-झारखंड विभाजन से पूर्व रजरप्पा सहित दो छिन्नमस्तिका की मंदिर चर्चित रहा है। जानकारों ने बताया कि किंवदन्ति है कि भौड़ वंषीय राजा का यहां गढ़ था और यहां क्षीण-मस्तिके की पूजा होती रही है जो डाक-डाकिनी के नाम से विख्यात है। अभी भी यहां उंचा गढ़ प्रतीत होता है। इस महिमा-मंडित मंदिर पर विद्वतजन ने अपनी काव्य रचना “अंग मिथिला केर संधि स्थल, डाकिनी चरण उपाषी ग्राम। महिमा जनपद में विख्यात अछि, ग्रामक नाम पड़ल खुरहान।।” से सुशोभित किया है। बुजूर्ग बताते थे कि पूर्व में मंदिर के आगे एक बड़ा पोखर था जिसके किनारे बने सुरंग में एक बोच (घड़ियाल) रहता था जो पूजा के लिए आए श्रद्धालू की आहत पर बाहर आकर उनके द्वारा दिए गए प्रसाद को ग्रहन करता था। उस वक्त बोच को देखने बच्चें और बुजूर्ग का तांता लगा रहता था। मंदिर परिसर में एक पुराना कुआं है जिसपर डाक बाबा स्थापित हैं। करीब 80 वर्ष पूर्व जब पुजारी स्व. भैरो झा ने जब कुएं पर बैठ कर पूजा करना शुरु करते कि अंदर से दूध का उबाल आना शुरु हो जाता था। अभी भी जो घेघा रोग वाले कुएं के नीर का सेवन करता है, उसे काफी लाभ मिलता है। इस मंदिर में आज तक जिसने जो भी मांगा उसकी मुरादें पूरी हुई है। मुरादें पूरी होने पर अधिकांष श्रद्धालू सोमवार के दिन छाग की बलि चढ़ाते हैं। अभी भी इस आस-पास तक में अनेकानेक तरह की मूर्तियां और अन्य चीजों के अवषेष के रुप में मिलते रहते हैं। मंदिर परिसर और आसपास मोटे और पुराने बृक्ष और जंगल अब भी मौजूद है। करीब सात वर्ष पूर्व यहां सैकड़ों लोगों ने अजगर देखा जिससे अनुमान लगाया यहीं कहीं अजगर का बसेरा है। अगर पुरात्व इसपर खोज करे तो अनेकों उपलव्धि मिल सकती है। किंतु यह जगह बाहरी आडम्बरों और रात्री विश्राम से बर्जित है। जिस कारण यह जगह विकसित नहीं हुआ। करीब दो साल पूर्व इस मंदिर सहित परिसर में पर्यटन विभाग द्वारा सौंदर्जीकरण का कुछ कार्य कराया।

फोटो केप्सनः-
1ए2-3ण् महिमा-मंडित खुरहान का डाकिनी मंदिर
4ण् खुरहान का डाकिनी मंदिर में कूप पर स्थापित डाक बाबा की मंदिर

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खुरहान में इतिहास के प्रारंभिक दौड़ का मिली सूबूत
आलमनगर के खुरहान डाकिनी मंदिर के इर्द-गिर्द मिले अवषेषों से ऐतिहासिक दौड़ के शुरुआत के सूबूत मिले हैं

खुरहान में मिले ब्लेक एण्ड रेड टुकड़ा से प्राथमिक ऐतिहासिक काल में यहां मानव जाति के रहने का साक्ष्य बताता है

पुरातत्व विभाग के टीम ने मिली मिले ब्लेक एण्ड रेड टुकड़े को मिट्टी के बर्Ÿान का टुकड़ा बताया
आलमनगर‘ संवाद सूत्र
पिछले साल 4 अप्रेल को आलमनगर के सोनवर्षा में मिट्टी खुदाई के दौरान मिली पौरानिक मूर्Ÿिा की पुरातत्व विभाग की टीम ने मूर्ति के जांच के उपरांत तीन दिन बाद खुरहान में गढ़ नूमा जगहों का मुआयना किया। पुरातत्व विभाग के टीम में कलकŸाा के सर्वेक्षक अरविंद सिन्हा राय और पटना के रोषन कुमार राज और पवन कुमार मंडल ने डाकिनी मंदिर से करीब 100 गज दक्षिण काली मंदिर के दक्षिण हल्की टीला के पास बिखड़े पड़े छोटे-छोटे टुकड़े का मुआयना किया। मुआयना कर कलकŸाा के सर्वेक्षक श्री राय ने बताया के यह अवषेष प्राथमिक ऐतिहासिक समय की है, जिससे इस जगहों पर पूर्व से हीं लोगों के रहने का साक्ष्य दर्षता है। अवषेष के रुप में मिले मिट्टी के बर्Ÿान का चार ब्लेक एण्ड रेड टुकड़ा करीब 26 सौ साल पहले का होने की अनुमान लगाया गया। काली मंदिर और उससे उŸार बड़ा मैदान और उससे उŸार डाकिनी मंदिर के आस-पास भी मिले मिट्टी बर्Ÿान के लाल अवषेषों का अवलोकन किया गया जो करीब 16 सौ साल पहले का अनुमान लगाया गया है। डाकिनी मंदिर के करीब चार सौ गज उŸार-पष्चिम गांव में शौचालय के टंकी की खुदाई में मिले ईट का दो टुकड़ा मुआयना में करीब 7 सौ साल पहले का बताया गया। सर्वेक्षण के दौरान मिले सभी अवषेषों को टीम अपने साथ जांच के लिए ले गया। खुरहान के बुजूर्ग का कहना है कि डाकिनी मंदिर के करीब 3 सौ मीटर के रेडियस में मिट्टी की खुदाई करने के दौरान तीन से चार फीट बाद पुराने जवाने का ईट और अन्य अवषेष मिलता रहता है। ग्रामीणों ने बताया कि पुर्वजों से मिली जानकारी में इस जगह राजा भौर का गढ़ था जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा गंभीरता से जांच में कई महत्वपूर्ण खुलासे हो सकते हैं। ग्रामीणों ने पुरातत्व विभाग के वरीय अधिकारियों से गहन जांच कराने का आग्रह किया है। टीम के वरीय सर्वेक्षक अरविंद सिंहा राय ने बताया कि ले जा रहे अवषेषों का जांचकर विभाग के निदेषक को अवगत करा दी जाएगी।

फोटो केप्सनः-
5-6ण् खुरहान में मिली इतिहास के प्रारंभिक दौड़ के अवषेषों केे साथ पुरातत्व विभाग की टीम
7-8ण् खुरहान में मिली इतिहास के प्रारंभिक दौड़ के अवषेष

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