जेल में बंद राम रहीम को रक्षाबंधन की शुभकामनाओं वाली चिट्ठियां भेजी डाक विभाग ढो रहा ऑटो किराए पर लेकर  राम रहीम के खत रोजाना 2000 चिट्टियां

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रोजाना 2000 के आसपास चिट्टियां सुनारिया जेल में बंद सिरसा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के नाम पर आ रही हैं, जिनको छांटने और कंप्यूटर में उनकी इंट्री सिरसा डेरा चीफ गुरमीत राम रहीम को बेशक जेल की सलाखों के पीछे डाले दो साल का अरसा बीत गया हो, लेकिन उसके अंध भक्त आज भी इस बलात्कारी बाबा के पीछे दीवाने हैं. दीवानगी का आलम यह कि बलात्कारी बाबा को देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी जन्मदिन और रक्षाबंधन की शुभकामनाओं वाली चिट्ठियां भेजी जा रही हैं. हजारों की संख्या में आ रही चिट्ठियों से डाक विभाग भी बुरी तरह परेशान है, जिसे इन चिट्ठियों को बोरों में ठूंसकर रोजाना सुनारियां जेल पहुंचाना पड़ रहा है.

रोजाना 2000 के आसपास चिट्टियां सुनारिया जेल में बंद सिरसा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के नाम पर आ रही हैं, जिनको छांटने और कंप्यूटर में उनकी इंट्री करने में इन लोगों के पसीने छूट रहे हैं. करीब सप्ताह भर से यह सिलसिला चल रहा है. ऐसा नहीं है कि भारत के विभिन्न हिस्सों से ही ये चिट्टियां सुनारियां के इस डाक खाने में पहुंच रही हों, बल्कि यहां तो विदेशों तक से बलात्कारी और हत्या के दोषी बाबा गुरमीत राम रहीम को उनके अनुयायियों द्वारा बधाई संदेश भेजे जा रहे हैं.

सबसे पहले यह चिट्ठियां रोहतक के मुख्य डाकघर पहुंचती हैं, और उसके बाद इनको सुनारिया के इस उप डाक खाने में भेजा जाता है, जहां पर छंटाई के बाद इन चिट्ठियों की एंट्री कंप्यूटर पर दर्ज होती है और फिर इन्हें बड़े-बड़े बोरों में भरकर सुनारिया जेल भेज दिया जाता है. कई बार तो इतनी अधिक चिट्ठियां हो जाती हैं कि उन्हें जेल तक पहुंचाने के लिए डाक विभाग के कर्मचारियों को किराए पर ऑटो लेना पड़ता है. चिट्ठियों की अधिकता को देखते हुए यहां पर दो अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती भी हाल ही में की गई है.करने में इन लोगों के पसीने छूट रहे हैं.
सिर्फ डाकखाने के कर्मचारी ही नहीं बल्कि सुनारिया जेल का प्रशासन भी रामरहीम के अंध भक्तों द्वारा भेजी जा रही इन चिट्ठियों से परेशान है, क्योंकि जेल प्रशासन को भी रोजाना इन चिट्ठियों की बारीकी से जांच पड़ताल करनी पड़ती है. अच्छे से जांच पड़ताल करने के बाद ही ये चिट्टियां अंदर बैरक में बंद गुरमीत राम रहीम तक पहुंचाई जाती हैं

जेल प्रशासन को बारीकी से छानबीन इसलिए भी करनी पड़ती है क्योंकि कहीं न कहीं अधिकारियों को इन चिट्ठियों के जरिए कोई आपत्तिजनक वस्तु जेल में पहुंचने का भी भय सताता रहता है. तो वहीं दूसरी ओर, सूत्र बताते हैं कि रोजाना आ रहे हजारों खतों में से गुरमीत राम रहीम महज 2-4 चिट्ठियां ही पढ़ता है और बाकियों को ऐसे ही वापस लौटा देता है.

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