सरकार का बड़ा फैसला, आर्टिकल 370-35A हटे, जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश
शाह ने कहा कि कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटा दिया गया है. अब इसके सभी खंड लागू नहीं होंगे. गृहमंत्री ने इसके साथ ही आर्टिकल 35A भी हटाए जाने का ऐलान किया. शाह ने कश्मीर के पुनर्गठन प्रस्ताव भी पेश किया है.
अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली आर्टिकल 370 में बदलाव करने की सिफारिश की. सरकार का संकल्प पत्र पेश करते हुए शाह ने कहा कि आर्टिकल 370 के तहत सभी खंड लागू नहीं होंगे. संकल्प पत्र के साथ ही अमित शाह ने कश्मीर का पुनर्गठन प्रस्ताव भी पेश किया.
राज्यसभा में अमित शाह के बयान से पहले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को हाउस अरेस्ट किया गया है. ऐसे में गृह मंत्री को घाटी की स्थिति पर बयान देना चाहिए. इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं. लेकिन उन्हें उनकी बात कहने दी जाए.
आर्टिकल 35A जम्मू-कश्मीर से हटाया गया जानें घाटी में इससे क्या बदलेगा?
आर्टिकल 35A को लेकर एक बड़ी शिकायत ये भी है कि 1954 में इसे बिना संसद की अनुमति के सीधे राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जोड़ दिया गया.
जम्मू-कश्मीर में इन दिनों राजनीतिक हलचल तेज है. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवास से जुड़े आर्टिकल 35A को खत्म करने का ऐलान किया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा को इसकी जानकारी दी. हालांकि, सरकार को फूंक-फूंक कर कदम उठाना होगा, क्योंकि इस कदम से पाक को राज्य में भावनाएं भड़काने का मौका मिल जाएगा.
आर्टिकल 35A को खत्म करना केंद्र सरकार के लिए चुनौती भरा होगा, लेकिन मोदी सरकार चुनौतियों की वजह से रुकने वाली नहीं है. ये फैसला भारत के राष्ट्रीय हितों के लिए तो बेहद अहम होगा ही भारतीय जनता पार्टी के लिए भी राजनीतिक तौर पर यह फैसला फायदेमंद होगा.
बीते कुछ दिनों से क्षेत्रीय पार्टियों में घमासान मचा हुआ है, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती 35A के समर्थन में एकजुट होने पर ज़ोर दे रहीं हैं. वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फ़ारूक़ और उमर अब्दुल्ला पीएम मोदी से मिलकर हालात पर चिंता जाता रहे हैं. ऐसे में यह समझना होगा की 35A क्या है.
क्या है अनुच्छेद 35A?
-अनुच्छेद 35A से जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय होते हैं
-14 मई 1954 के पहले जो कश्मीर में बस गए थे वही स्थायी निवासी.
– स्थायी निवासियों को ही राज्य में जमीन खरीदने, सरकारी रोजगार हासिल करने और सरकारी योजनाओं में लाभ के लिए अधिकार मिले हैं.
-किसी दूसरे राज्य का निवासी जम्मू-कश्मीर में जाकर स्थायी निवासी के तौर पर न जमीन खरीद सकता है, ना राज्य सरकार उन्हें नौकरी दे सकती है.
-अगर जम्मू-कश्मीर की कोई महिला भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उसके अधिकार छिन जाते हैं, हालांकि पुरुषों के मामले में ये नियम अलग है.
35A को हटाने पर क्या होगा?
1. देश का कोई नागरिक राज्य में ज़मीन खरीद पाएगा, सरकारी नौकरी कर पाएगा, उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिला ले पाएगा.
2. महिला और पुरुषों के बीच अधिकारों को लेकर भेदभाव खत्म होगा.
3. कोई भी व्यक्ति कश्मीर में जाकर बस सकता है.
4. वेस्ट पाकिस्तान के रिफ्यूजियों को वोटिंग का अधिकार मिलेगा.
लेकिन कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों में बेचैनी इसलिए है क्योंकि इन दलों को डर है कि इससे राज्य की स्वायत्ता और कम हो जाएगी. अगर अन्य राज्यों के लोग यहां बसने लगे तो इस मुस्लिम बहुल राज्य की जनसांख्यिकी बदल जाएगी. हालांकि बीते 70 वर्षों में यहां ऐसा कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि जम्मू के हिंदू बहुसंख्यकों और लद्दाख के बौद्ध लोगों को घाटी में संपत्ति खरीदने व बसने का अधिकार है.
सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि कश्मीर में अलगाववादियों को युवाओं को भड़काने का मौका नए सिरे से मिल जाएगा. वहीं पाकिस्तान पूरी कोशिश करेगा कि जम्मू-कश्मीर के हालात खराब हों. पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक बयान में कहा है कि जम्मू-कश्मीर के संवैधानिक ढांचे में बदलाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा