फलदायी है भगवान शिव का महिना सावन,सोमवार पूजन विधि श्रावण मास के महत्वपूर्ण तिथियां

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फलदायी है भगवान शिव का महिना सावन

आज आप सब के साथ श्रावण मास से जुडे कुछ रोचक जानकारियां साझा करने जा रहा हूँ।
जैसा कि आप सभी को पता है कि आज से श्रावण मास चालू हो गया है और हर साल की तरह इस साल भी लोगों की आस्था और भक्ति भोलेनाथ के प्रति देखने को मिलेगा। इस साल श्रावण महीने की शुरुआत 28 जुलाई से हो गई है, लेकिन इसे उदया तिथि यानी आज 28 जुलाई से मानी जाएगी. 26 अगस्त को श्रावण मास का आखिरी दिन होगा। इस बार सावन का महीना एक विशेष योग के साथ आया है।
इस बार 19 साल के बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि पूरे 30 दिनों तक सावन का महीना रहेगा। आमतौर पर सावन का महीना 28 या 29 दिनों का होता है। साथ ही इस सावन में 4 सोमवार भी पड़ेगा। जिसे ज्योतिष के नजरिए से काफी शुभ माना गया है। खास कर कुवारी कन्याओं के लिए तो बहुत ही शुभ है इसलिए कुवांरी कन्याओं को इन चारो सोमवारी का ब्रत जरूर करना चाहिए जिससे उन्हें विवाह में होने वाले बाधाएं दूर होगी और साथ ही साथ मन के अनुकूल जीवन साथी भी मिलेगा। ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने शिव को वर के रूप में पाने के लिए 16 सोमवा का व्रत रखा था और महादेव को पति के रूप में प्राप्त किया था।
शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं। सावन सोमवार, सोलह सोमवार और सोम प्रदोष। पंचांग के अनुसार इस बार सावन का महीना 30 दिनों का है जिसमें चार सोमवार शामिल हैं। माना जाता है सावन महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
बहुत से लोग सावन या सावन के महीने के आने से वाले पहले सोमवार से ही 16 सोमवार व्रत की शुरुआत करते हैं. सावन महीने की एक बात और खास है कि इस महीने में मंगलवार का व्रत भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती के लिए किया जाता है. श्रावण के महीने में किए जाने वाले मंगलवार व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है।

सोमवार पूजन विधि

प्रात: काल उठकर स्नान करके पूजा घर की सफाई करें। यदि संभव हो तो एक चौकी लेकर उस पर साफ कपड़ा बिछाएं और शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें अन्यथा सच्चे मन से उनका ध्यान करें और प्रसाद का भोग चढ़ाएं। साथ ही हाथ मे जल, पुष्प और बेलपत्र लेकर इस मंत्र से संकल्प करें।
ये मंत्र इस प्रकार है!
‘मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये’

इसके बाद “ऊं नम: शिवाए” या फिर “नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जप रुद्राक्ष के माला से करें। जाप पूरा करने के बाद व्रत कथा/सावन कथा पढ़े या सुनें। बिना व्रत कथा या सावन कथा पढ़े या सुने पूजा अधूरी रहती है। उपरोक्त बिधि से पूजा करने से भगवान जरूर प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनवांछित आशीर्वाद देते हैं। वैसे श्रवण के महीने में आप नित्य दिन स्नानं कर ‘सावन कथा’ का पठान भी कर सकते है जिनका फल आपको निश्चित ही मिलेगा । “सावन कथा” की पुष्तक आपको आसानी से किसी पूजन सामग्री दुकान में मिल सकता है। वैसे आज कल ये इंटरनेट पर भी उपलब्ध है।

इस बार श्रावण मास के महत्वपूर्ण तिथियां:

28 जुलाई शनिवार: सावन महीने का पहला दिन

30 जुलाई, सोमवार: सावन का पहला सोमवार

31 जुलाई, मंगलवार: संकष्टी चतुर्थी

7 अगस्त, मंगलवार: कामिका एकादशी

9 अगस्त, गुरुवार: मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत (कृष्ण)

11 अगस्त, शनिवार: आषाढ़ अमावस्या

13 अगस्त, सोमवार: हरियाली तीज, सावन का दूसरा सोमवार
15 अगस्त, बुधवार: नाग पंचमी

17 अगस्त, शुक्रवार: सिंह संक्रांति

21 अगस्त, मंगलवार: श्रावण पुत्रदा एकादशी

23 अगस्त, गुरुवार: प्रदोष व्रत (शुक्ल)

25 अगस्त, शनिवार: ओणम/थिरुवोणम

26 अगस्त, रविवार: श्रावण पूर्णिमा व्रत, रक्षा बंधन

29 अगस्त, बुधवार: कजरी तीज

30 अगस्त, गुरुवार: संकष्टी चतुर्थी

भगवान शिव को महाकाल भी कहा गया हैं।
इनकी पूजा अर्चना से इन्हें खुश कर काल मृत्यु या फिर किसी भी होनी या अनहोनी को टाला जा सकता है।

धन्यबाद
मानस मुखर्जी।(ज्योतिषाचार्य)
धधकिया बोकारो

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