मनस्कर मित्रों!
आज मैं बात करने जा रहा हूँ हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में एक के बारे में जिसे हम नवरात्रा के नाम से जानते हैं। वैसे ये नवरात्रा साल में चार बार आता है जिसमे से अश्विन नवरात्रा का एक अलग ही महत्व है और आज मैं इसी के बारे में बात करने जा रहा हूँ। ये देश के लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है पर पशिम बंगाल, बिहार झारखंड उड़ीसा समेत पूर्वोत्तर राज्य में नवरात्रा का एक खास ही रूप देखने को मिलता है।
इस वर्ष माँ दुर्गा का अगवा नोक से है तथा प्रस्थान हाथी से है जो कि एक बहुत ही शुभ संकेत है।
इसका अर्थ है कि इस बार देवी पृथ्वी के समस्त प्राणियों की इच्छाओं को पूर्ण करेंगी. मां का जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक पूजन और व्रत अर्थात निर्मल मन से शुभ फल की इच्छा करेंगे, मां दुर्गा उनकी मनोकामना पूर्ण करेंगी.
पूजन के दिन एवं तिथि।
10/10/18(बुधवार):- प्रथम दिवस
इस दिन घाट स्थापन या कलश स्थापना की जाती है और इस वर्ष कलश स्थपन का शुभ मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त से सुबह 7.56 मिनट तक का समय सबसे अच्छा है। यदि ऐसा संभव न हो तो अभिजीत मुहूर्त में दिन के 11.36 बजे से दोपहर 12.24 बजे के बीच कलश स्थापना करें। वैसे हर साल की तरह इस साल भी मुहूर्त के समय को लेकर कई विद्वानों में मतान्तर है, इसलिए अपने पुरोहित पंडित से इसके बारे में सलाह जरूर लें।
और इस दिन माता शैल्य पुत्री की पूजा की जाती है।
11/10/18(गुरुवार) :- द्वितीया
माँ ब्रम्हमचारणी देवी पूजन
12/10/18(शुक्रवार):- तृतिय
माँ चन्द्रघंटा देवी पूजन
13/10/18(शनिवार):- चतुर्थी
माँ कूष्मांडा देवी पूजन
14/10/18(रविवार) :-पँचमी
स्कन्द माता पूजन
15/10/18(सोमवार):- षष्टि
कात्यानी माँ पूजन
16/10/18(मंगलवार):- सप्तमी
माँ काल रात्रि पूजन।
तंत्र एवं मंत्र शिद्धियो के लिए खास दिन का प्रारंभ। इस दिन नवरात्रि उपवास करने वालो के शरीर में शकरत्नक ऊर्जा का स्तर काफी उच्च होता है, जिसके कारण उन्हें इसका आभास भी होता है। इसलिए सप्तमी का उपवाश में शरीर को ज्यादा थका देती है।
17/10/18(बुधवार):- माह अष्टमी
माता गौरी पूजन ।
सप्तमी की तरह यह दिन भी काफी खास मन गया है। शिद्धि करने वाले साधकों के लिए तो ये और भी खास है।
शरीर मे ऊर्जा प्रवाह का अस्तर काफी उच्च होता है। और सप्तमी तथा अष्टमी के दिन सप्तसती के सभी 700 मंत्र उत्कीलित रहते है। यही वजह है कि कई शिद्धिकर्ता इसका दुरुपयोग किसी को क्षति पहुचने मे करते हैं।
18/10/18(गुरुवार):- नवमी
इस दिन माता शिद्धिदात्री की पूजन तथा हवन कर व्रत की समाप्ति की जाती है।
19/10/18(शुक्रवार):- विजया दशमी
यह अंतिम दिन है कलस या मूर्ति विषर्जन कर नवरात्रि पूजन की समाप्ति की जाती है।
पूरे नवरात्रि में साधक या व्रती को एक विशेष नियम का पालन करना अनिवार्य है।
>जमीन पर सोना
>निर्मल वश्त्र धारण करना।
>फलाहार भोजन
>ब्रम्हचर्या का पालन
> किसी योग्य गुरु या पुरोहित पंड़ित के परामर्श के अनुसार पुजन क्रिया।
>पूजन कथा में हिंदी , संस्कृत या फिर किसी भी भाषा मे पाठ का शुद्ध उच्चारण अन्यथा किसी योग्य पुरोहित से सभी अध्याय का पाठ करायें।
माता आपके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करे।
धन्यबाद
मानस मुखर्जी (ज्योतिषाचर्या)
बोकारो, झारखंड
09472553848