इंडियन एयरफोर्स को मिला चिनूक हेलीकॉप्टर, जानिए क्या है इसकी खासियत?
चार चिनूक हेलीकॉप्टर चंडीगढ़ स्थित इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के 12वीं विंग एयरफोर्स स्टेशन में आज एक कार्यक्रम में चिनूक हैवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर की पहली यूनिट को शामिल कर लिया गया। भारतीय नौसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने इस मौके पर कहा कि चिनूक हेलीकॉप्टर सिर्फ दिन में नहीं, रात के वक्त भी सैन्य ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है। दिनजान (असम) में पूर्वी भारत के लिए एक और यूनिट गठित की जाएगी।
चिनूक का शामिल होना भी उसी तरह गेम चेंजर साबित होगा, जैसे लड़ाकू विमानों की फ्लीट में राफेल का शामिल होना होगा। उन्होंने कहा, ‘इस समय देश के सामने सुरक्षा से जुड़ी कई बड़ी चुनौतियां हैं और मुश्किल जगहों के लिए इस तरह की क्षमता वाले हेलीकॉप्टर की जरूरत है।’ उन्होंने बताया कि चिनूक को भारत की जरूरतों के लिहाज से तैयार किया गया है।
Air Chief Marshal BS Dhanoa: Chinook helicopter can carry out military operations, not only in day but during night too; another unit will be created for the East in Dinjan (Assam). Induction of Chinook will be a game changer the way Rafale is going to be in the fighter fleet. pic.twitter.com/TxJgJt8h5P
— ANI (@ANI) March 25, 2019
अमेरिका ने इसी की मदद से आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन का खात्मा किया था. इसे पाकिस्तानी सीमा पर वायुसेना को और अधिक ताकतवर बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा.
भारतीय वायुसेना के बेड़े में अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा बनाए गए चार चिनूक हेवीलिफ्ट हेलीकॉप्टर शामिल हो गए हैं. एयरबेस पर एक इंडक्शन समारोह के दौरान इस हेलीकॉप्टर को वायु सेना को सौंपा गया. इस दौरान वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ भी मौजूद थे.एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा कि चिनूक को भारत के विशेष जरूरतों के हिसाब से वायुसेना में शामिल किया गया है. इसकी खासियत है यह है कि यह न केवल दिन में, बल्कि रात में भी सैन्य कार्रवाई कर सकता है. चिनूक गेम चेंजर साबित होगा. उसी तरीके से जैसे राफेल लड़ाकू बेड़े में शामिल होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि ‘ये मिलिट्री ऑपरेशन में भाग ले सकता है. ये न सिर्फ दिन में बल्कि रात में भी ऑपरेशन करने में सक्षम है. ये हेलीकॉप्टर देश के लिए गेम चेंजर साबित होगा.
अमेरिका ने इसी की मदद से आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन का खात्मा किया था. इसे पाकिस्तानी सीमा पर वायुसेना को और अधिक ताकतवर बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा.
2015 में भारत ने अमेरिका से 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए डील की थी. चिनूक हेलीकॉप्टर बहुत ऊंचाई पर उड़ान भरने के साथ ही भारी-भरकम सामान को भी काफी ऊंचाई पर आसानी से पहुंचा सकता है. अमेरिकी सेना लंबे वक्त से चिनूक का इस्तेमाल कर रहा है. वियतनाम युद्ध, इराक में भी यह हेलीकॉप्टर बड़ी और निर्णायक भूमिका निभा चुका है. इस हेलीकॉप्टर में एक बार में गोला-बारूद, हथियार के अलावा सैनिकों को भी भेजा जा सकता है. चिनूक को रडार से पकड़ पाना मुश्किल है. इसे दो पायलट उड़ा सकते हैं. भारत चिनूक को इस्तेमाल करने वाला 19वां देश होगा. बोइंग ने 2018 में वायुसेना के पायलटों और फ्लाइट इंजीनियरों को चिनूक हेलिकॉप्टर उड़ाने की ट्रेनिंग भी दी थी. ये हेलीकॉप्टर छोटे से हेलिपैड और घाटी में भी लैंड कर सकता है. चिनूक हेलीकॉप्टर राहत और बचाव अभियानों में मददगार साबित होगा. ये हेलीकॉप्टर 10 टन तक वजन को 20000 फीट की ऊंचाई तक लेकर उड़ सकता है. भारी सामानों के बावजूद ये 280 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है.