पितृ अमावस्या का रहस्य हिन्दू संस्कृति में माता, पिता और गुरु को ब्रह्म, विष्णु और शिव के नाम से संबोधित किया गया
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हिन्दू संस्कृति में माता, पिता और गुरु को ब्रह्म, विष्णु और शिव के नाम से संबोधित किया गया है क्योंकि इनके प्रयत्न से ही बालक का विकास होता है। इस उपकार के बदले में बालक को इन तीनों के प्रति अटूट श्रद्धा मन में धारण किये रहने का शास्त्रकारों ने आदेश दिया है। “मातृ देवो भव, पितृ देवो भव,...
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ ४.७ ॥श्रीमद् भगवद्गीता यथारूप 4.7
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श्रीमद् भगवद्गीता यथारूप 4.7
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ ४.७ ॥
Translation
हे भारतवंशी! जब भी और जहाँ भी धर्म का पतन होता है और अधर्म की प्रधानता होने लगती है, तब तब मैं अवतार लेता हूँ |
Purport
यहाँ पर सृजामि शब्द महत्त्वपूर्ण है | सृजामि सृष्टि के अर्थ में नहीं प्रयुक्त हो सकता, क्योंकि पिछले श्लोक के...
मनस्कर मित्रों!
आज मैं बात करने जा रहा हूँ हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में एक के बारे में जिसे हम नवरात्रा के नाम से जानते हैं। वैसे ये नवरात्रा साल में चार बार आता है जिसमे से अश्विन नवरात्रा का एक अलग ही महत्व है और आज मैं इसी के बारे में बात करने जा रहा हूँ। ये देश के...
अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन् । प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय संभवाम्यात्ममायया ॥ ४.६ ॥
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श्रीमद् भगवद्गीता यथारूप 4.6
अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन् ।
प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय संभवाम्यात्ममायया ॥ ४.६ ॥
Translation
यद्यपि मैं अजन्मा तथा अविनाशी हूँ और यद्यपि मैं समस्त जीवों का स्वामी हूँ, तो भी प्रत्येक युग में मैं अपने आदि दिव्य रूप में प्रकट होता हूँ |
Purport
भगवान् ने अपने जन्म की विलक्षणता बतलाई है | यद्यपि वे सामान्य पुरुष की भाँति प्रकट हो सकते हैं,...
🔔कार्तिक मास के समान कोई भी मास नहीं है। स्कंद पुराण और पद्मपुराणमें वर्णित है कि यह मास धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष को देने वाला है। विशेष रूप से स्नान दान, एवं तुलसी की पूजा इस मास में विशेष फलदायी है।
🔔कार्तिक मास में दीपदान करने से पाप नष्ट होते हैं। स्कंद पुराण में वर्णित है कि इस...
गया तीर्थ की कथा
ब्रह्माजी जब सृष्टि की रचना कर रहे थे उस दौरान उनसे असुर कुल में गया नामक असुर की रचना हो गई. गया असुरों के संतान रूप में पैदा नहीं हुआ था इसलिए उसमें आसुरी प्रवृति नहीं थी. वह देवताओं का सम्मान और आराधना करता था.
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उसके मन में एक खटका था. वह सोचा करता था कि भले...