फांसी पर चढ़ा बाबा शोको असहारा महिलाओं से संबंध बना शीशियों में रखता था ……

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फांसी पर चढ़ा बाबा शोको असहारा को फांसी दे दी गई. महिलाओं से संबंध बना शीशियों में रखता था ……

अपनी तमाम अनुयायियों से संबंध बना जापान का सबसे विवादास्पद बाबा शोको असहारा

1984जापान में एक ओम शिनरिकयो के नाम से एक धार्मिक संगठन बना. जापानी तेजी से इसके सदस्य बनने लगे. इसमें पढ़े-लिखे जापानी ज्यादा थे. इस संगठन को खड़ा करने वाला बाबा का नाम था शोको असहारा. वो अंधा था. खुद को क्राइस्ट और भगवान का दूत बताता था. अपने संगठन की महिलाओं से संबंध बनाने के बाद उनके बाल काटकर छोटी शीशियों में रख लेता था. विरोध करने वालों को मौत के घाट उतरवा देता था. ये बाबा छह जुलाई को फांसी पर चढ़ा दिया गया.

1995 में जापान की राजधानी तोक्यो में भयावह हादसा हुआ था. अचानक कुछ लोग मास्क पहने अंडर-वे में दाखिल हुए. उनके हाथों में जहरीली गैस सरीन के सिलिंडर थे. उन्होंने भीड़भाड़ वाले अंडर-वे पर लोगों पर ये गैस स्प्रे की. गैस के रिसाव से दर्जनों लोग मारे गए, जबकि बड़े पैमाने पर लोग बीमार हो गए. ये कांड इसी बाबा के दिमाग की उपज थी. बाद में एक साल बाद जब उसे गिरफ्तार किया गया, तो उसने कहा कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार वो नहीं बल्कि भगवान हैं, जिन्होंने उसे ऐसा करने का निर्देश दिया था.

स्कूल में बच्चों को धमकाता था और वसूलता था पैसा
शोको की उम्र 63 साल थी. एक गरीब परिवार पैदा शोका की बाईं आंख की रोशनी बचपन में ही ग्लूकोमा से चली गई. दाईं आंख से कम दिखता था. उसने ब्लाइंड स्कूल में दाखिला लिया. उसे ऐसे बच्चों में गिना जाता था, जो बच्चों को धमकाता और पैसे वसूल करता था. 1977 में उसने एक्यूपंचर और पारंपरिक चीनी चिकित्सा में ग्रेजुएशन किया. अवैध प्रैक्टिस करने के चलते उस पर मोटा जुर्माना लगा.

12 बच्चों का बाप था
1978 में उसने शादी की. उसके 12 बच्चे थे. वर्ष 84 के आसपास उसने धर्म में दिलचस्पी लेनी शुरू की. तमाम धर्म और उनके उपदेशों के बारे में पढ़ा. चाइनीज एस्ट्रोलॉजी और ताओइज्म सीखी. योगा, ध्यान और कई चीजों में पारंगत बन गया.असहरा के पास कोई प्राइवेट निवास नहीं था. लिहाजा संगठन के मुख्यालय पर ही महिलाओं से संबंध बनाता था

धार्मिक संगठन शुरू किया
1987 में उसने अपना नाम चिजुओ मातसुमोतो से बदलकर शोको असहारा कर लिया. अब उसने ओम शिनरिकयो नाम से धार्मिक संगठन के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया. कुछ मुश्किल के बाद रजिस्ट्रेशन हासिल हो गया. इसके बाद उसने लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया. किसी तरह वो टीवी पर धार्मिक उपदेश के प्रोग्राम्स में शामिल होने लगा. टीवी और मैगजीन के कवर पर आने से उसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी. यूनिवर्सिटीज उसे लेक्चर के लिए बुलाने लगीं. उसने कई धार्मिक किताबें भी लिखीं.

खुद को ‘लैंब ऑफ गॉड’ बताया
आमतौर पर उसका धार्मिक संगठन ओम शिनरिकयो बौद्ध धर्म की शाखा वज्रयान, बाइबल और कई अन्य धार्मिक किताबों की बातों पर होने का दावा करती थी. 1992 में असहारा ने खुद को क्राइस्ट घोषित कर दिया. उसका कहना है कि वो जापान का अकेला ऐसा शख्स है, जिसे ज्ञान प्राप्त हो चुका है. उसने खुद को भगवान का भेजा हुआ दूत ‘लैंब ऑफ गॉड’ बताया. वो अपनी आध्यात्मिक शक्तियों को अनुयायियों में ट्रांसफर करने का दावा करता था.

अनुयायियों का ब्रेन वॉश करता था
शोको को हर ओर यहुदियों, फ्रीमेसंस, डच, ब्रिटिश रायल परिवार और जापान के दूसरे प्रतिद्वंद्वी धर्मों से गहरी साजिशें नजर आती थीं. उसका मानना था कि एक अंत का दिन आएगा, जिसमें तीसरा विश्व युद्ध भी होगा. उस अनुयायी तेजी से बन तो रहे थे लेकिन अनुयायियों के साथ खराब व्यवहार की खबरें भी आती थीं. असहारा पर लोगों के ब्रेन वॉश करने का आरोप लगने लगा. खासकर अनुयायियों के परिवारजनों ने ये शिकायतें करनी शुरू कीं.

शीशियों में रखता था महिलाओं के बाल
असहारा के प्राइवेट कमरे में पुलिस को कई छोटी कांच की शीशियों में छोटे बाल मिले. इस बोतलों पर उसकी महिला फॉलोअर्स के नाम लिखे थे. असहारा ने अनुयायियों के बीच शादी और सेक्स संबंधों पर पाबंदी लगाई हुई थी, लेकिन खुद इन सबसे परे था. वो बेधड़क अनुयायी महिलाओं से संबंध बनाता था और उनके साथ तंत्र साधनाएं करता था.

ट्रायल ऑफ सेंचुरी
चूंकि, . वर्जिन महिलाओं को वो डाकिनी कहता था. उसके ऊपर 27 हत्याओं के आरोपों में मुकदमा चलाया गया, जिसमें उसे 13 में दोषी पाया गया. जापानी मीडिया ने असहारा के खिलाफ चल रहे मुकदमे को ट्रायल ऑफ सेंचुरी भी कहा

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