हिंदू परंपरा के अनुसार दाह संस्कार के बाद अस्थियों को चुनकर कुछ दिनों बाद किसी पवित्र नदी अथवा समुद्र में विसर्जित किया जाता है। अमूमन लोग सबसे पावन मानी जाने वाली गंगा नदी में ही अस्थि विसर्जन की चाह रखते हैं क्योंकि लोगों की मान्यता है कि जिस गंगा को राजा भगीरथ ने अपने पुरखों को तारने के लिए कठिन तपस्या कर पृथ्वी पर लाए थे, उसमें अस्थि विसर्जन करने से मृतक की आत्मा भी जन्म मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करती है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियों को भी 19 अगस्त 2018 को हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित किया जाएगा।
अटल जी की अस्थियां
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दाह संस्कार के पश्चात अब उनकी अस्थियों को कई भाग में कई नदियों में विसर्जित किया जाएगा। सबसे पहले 19 अगस्त 2018 को हरिद्वार के हरि की पौड़ी घाट पर विसर्जित किया जाएगा। उसके बाद अटल जी की अस्थियों को अन्य नदियों में भी विसर्जित किया जाएगा। अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां राज्य के 75 जिलों की सभी 163 नदियों में विसर्जित की जाएंगी।