इनेलो और बसपा अब एकजुट हो गई हैं… बसप के साथ इनेलो ने हाथ मिला लिया है… लेकिन अब देखना ये है कि ये गठबंधन आने वाले चुनावों में कितना असरदार साबित होता है…
हरियाणा का इतिहास गवाह है इनेलो आज तक बिना गठबंधन के सत्ता में कभी भी नहीं आई। सूत्रों के अनुसार इनेलो अौर बसपा में गठबंधन का एेलान आज चंडीगढ़ में हो सकता है। आज तीन बजे अभय चौटाला चंडीगढ़ में प्रेस, कॉन्फ्रेंस करके किया ऐलान। विधानसभा चुनावों को लेकर आज दोनों में गठबंधन तय हो, गया है। 2014 में 90 सीटों पर इनेलो व बीजेपी ने अलग -अलग चुनाव लड़े थे। बीजेपी अकेले अपने दम पर सत्ता में आ गई इसलिए चुनावों से पूर्व तालमेल की कोई भी संभावना नहीं बनती। इनेलो चुनावों से पहले गठबंधन चाहती है, जिससे उनके वोट प्रतिशत में इजाफा हो। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों में इनेलो व बसपा गठबंधन की चर्चाएं आजकल पूरी तरह से गर्म हैं। मिशन 2019 के लिए इनेलो-बसपा गठबंधन हुआ
लोकसभा के आम चुनावों को एक साल का समय बचा है लेकिन विभिन्न राजनीतिक दलों ने चुनावी बिसात पर अपनी गोटियां बिछाने का काम अभी से शुरू कर दिया है। पिछले 14 साल से सत्ता का बनवास काट रहे हरियाणा के मुख्य विपक्षी व क्षेत्रीय दल इंडियन नेशनल लोकदल ने सत्ता में वापसी की राह तलाशना शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार इनेलो के आला नेताओं ने दलित मतदाताओं के आधार वाली बहुजन समाज पार्टी से तालमेल बढ़ानी शुरू कर दी हैं। बताया जाता है कि इनेलो नेता पिछले काफी समय से बसपा के हरियाणा के नेताओं से संपर्क में हैं। नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने भी 2 अप्रैल को भारत बंद को समर्थन दे सबको चेता दिया व उसमें उनका दलित प्रेम भी झलका। जातीय समीकरणों के आधार पर राजनीतिक गणित में इनेलो अपने खाते हरियाणा के अंदर 30 प्रतिशत व बीएसपी के खाते में 20 प्रतिशत वोट मानकर चल रही है। इस गणना में इनेलो मानती है कि अगर 40 प्रतिशत मत भी उन्हें पड़ जाएं तो सत्ता मिल जाएगी।
बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव एवं पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी नरिंदर कश्यप ने पिछले दिनों रोहतक में मीडिया से कहा था कि दोनों दलों के प्रमुख मायावती और ओमप्रकाश चौटाला के बीच इस बारे में बातचीत हो चुकी है और दोनों नेता सीटों के बंटवारे के बारे में समझौते पर पहुंच चुके हैं। चौटाला ने सीधे शब्दों में इसे स्वीकार नहीं किया मगर यह कहा कि कांग्रेस व बीजेपी को छोड़ कर किसी भी दल से वार्ता कर गठबंधन से कोई एतराज नहीं है। हालांकि अभय सिंह चौटाला ने बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ अपनी भेंट को औपचारिक मुलाकात बताया है।
हाल ही में मायावती के जन्मदिन पर नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला की उनसे से भेंट के बाद दोनों दलों के बीच गठबंधन की चर्चाएं एकाएक तेज हो गई है। स्वाभाविक रूप से ऐसी स्थिति में बीजेपी जो आजकल दलित मतदाताओं को रिझाने पर लगी हुई है। लोकसभा व विधानसभा दोनों चुनावों के लिए अगर यह गठबंधन सिरे चढ़ता है तो लोकसभा में 6-4 या 7-3 के समीकरण बन सकतें हैं। इनेलो का टारगेट विधानसभा है लोकसभा नहीं, यह सर्व विदित है। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा – 33.20%, कांग्रेस को -20.58%, इनेलो-24.73%, अौर बसपा-4.37% वोट मिले थे। इनेलो को सभी जातियों का सांझा मंच दिखने के लिए अभय चौटाला ने कड़ी मुशक्कत लगातार की है। इनेलो मुस्लिम, ब्राह्मण व बनाया वर्ग की वोटों में भी पूरी सेंधमारी की कोशिश में है।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा में इनेलो व बसपा के बीच गठबंधन की बात कोई नई नहीं है। दोनों दलों के बीच 1998 में भी गठबंधन हुआ था और तब इनेलो बसपा के बीच क्रमश: 6-4 पर समझौता हुआ था। यानि छह सीटों पर इनेलो व चार सीटों पर बसपा ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। इनेलो ने छह में चार सीटें जीतीं थी, जबकि बसपा को चार में से सिर्फ एक सीट पर ही विजय हासिल हुई थी। इस बार दोनों दलों के नेता लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा के चुनावों के लिए भी पहले ही लिखित समझैता करने के मूड में है और विधानसभा की टिकटों का बंटवारा भी पहले ही कर लेने के इच्छुक हैं ताकि विधानसभा चुनावों के समय टिकटों को लेकर कोई विवाद न हो। अभय सिंह चौटाला ने कहा की कितनी कितनी सीटों पर बसपा लड़ेगी और कितनी सीटों पर इनेलो इसका फैसला अभी साफ नहीं किया है चुनाव आने पर ही 11 सीटों का फैसला तय होगा