गायत्री जयंती के मौके पर 31 मई को 100 देशों में एक साथ नैनो पद्धति से हवन किया जाएगा।
यानी घर-घर में लोग उपलब्ध पूजन सामग्रियों से हवन करेंगे। इस दौरान सभी भक्त मिलकर यही कामना करेंगे कि पूरे विश्व को जल्द से जल्द कोरोना से छुटकारा मिले। हवन कैसे किया जाना है, शांतिकुंज, हरिद्वार ने इस संबंध में दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं।
वैसे तो गायत्री जयंती 2 जून को मनाई जाएगी, लेकिन हवन के लिए 31 तारीख तय की गई है। सार्वजनिक रूप से बड़ा कार्यक्रम करने के बजाय इस बार नैनो पद्धति से गायत्री परिवार के लोग अपने-अपने घरों में यज्ञ करेंगे। यानी घर में ही छोटे रूप में और उपलब्ध सामग्रियों से हवन किया जाएगा। गायत्री मंत्र एवं महामृत्युंजय मंत्रों से एक साथ दुनिया के 100 देशों में आहुतियां दी जाएंगी। गायत्री यज्ञ एवं उपासना का आयोजन शांतिकुंज हरिद्वार के निर्देश एवं जिला गायत्री परिवार के मार्गदर्शन में संपन्न होगा। इसके लिए एक गाइडलाइन भी ट्रस्ट द्वारा जारी की गई है ताकि विधि-विधान और नियमों के अनुसार यज्ञ संपन्न कराया जा सके। गायत्री परिवार के मीडिया एवं प्रोटोकॉल प्रभारी अमित डोये ने बताया कि इस बार नैनो पद्धति अपनाई जा रही है। इससे लोग कहीं इकट्ठे होने के बजाय घर में रहकर ही अनुष्ठान कर सकेंगे। संक्रमण का खतरा भी नहीं रहेगा। विश्व को कोरोना से मुक्ति और प्रत्येक मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े, इसी उद्देश्य से यह आयोजन किया गया है।
हवन का वैज्ञानिक लाभ
गायत्री परिवार का दावा है कि केंद्रीय आयुष विभाग द्वारा यह प्रमाणित किया गया है कि यज्ञ से वातावरण शुद्ध (सेनिटाइज) होता है। यह कोरोना के विषाणु का खात्मा करता है। ट्रस्ट ने कहा है कि गायत्री परिवार से जुड़े लोग अपने परिचितों, मित्रों, रिश्तेदारों, सामाजिक संगठनों और संस्थाओं को यज्ञ के वैज्ञानिक लाभ और उसके उद्देश्य के बारे में बताएं।
ऑनलाइन भी कर सकते हैं हवन
जो परिजन खुद से हवन करने में असहज महसूस करें, वे पंडितों द्वारा ऑनलाइन कराए जाने वाले हवन को देखकर भी विधान कर सकते हैं। यहां बता दें कि यह यज्ञ मानव कल्याण व कोरोना से मुक्ति के लिए किया जा रहा है। पूरे विश्व में लोग हवन करके यही प्रार्थना करेंगे।
ऐसे करें हवन
#मोबाइल_पण्डित | #MobilePandit What is Yagya or other Name Yagna ? पवित्रीकरण मन्त्र ॐ अपवित्र: पवित्रो वा, सर्वावस्थाम गतोपि वा । ॐ पुनातु पुण्डरीकाक्ष:, पुनातु पुण्डरीकाक्ष:,पुनातु। आचमन ॐ अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा । ॐ अमृतापिधानमसि स्वाहा । ॐ सत्यं यश: श्रीर्मयि, श्री: श्रयतां स्वाहा। शिखावंदन ॐ चिदरूपिणी महामाये दिव्यतेज़: समन्विते। तिष्ठ देवि शिखामध्ये, तेजोवृद्धि कुरुष्व में ।। न्यास ॐ वाड’ में आस्येस्तु । ( मुख को) ॐ नासोर्मे प्रणोस्तु ( नासिक के दोनों छिद्रों को ) ॐ अक्षनोर्मे चक्षरस्तु ( दोनों नेत्रों को ) ॐ कर्णयोर्म श्रोत्रमस्तु ( दोनों कानो को ) ॐ बहोरमे बलमस्तु ( दोनों भुजाओ को ) ॐ उवोर्मे ओजोस्तु ( दोनों जंघाओं को ) चंदनधारानम ॐ चंदनस्य महत्पून्यं पवित्रं पापनाशनम। आपदां हरते नित्यं लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा।। कलश पूजनं ॐ कलशस्य मुखे विष्णु, कण्ठे रूद्र समाश्रित। मुले त्वस्य स्थितो ब्रह् मध्ये मातृ गाना:स्मृता।। कुक्षो तू सागरा सर्वे सप्तदीपा वसुंधरा। ऋग्वेदोथ यजुर्वेद: सामवेद हाथवर्ण1। अंगैश्च सहिता: सर्वे,कालशंन्तु समाश्रिताः। अत्र गायत्री सावित्री,शांति पुष्टिकरी सदा।। दीप पूजनं ॐ अग्निज्योतिजयतिराग्नि स्वाहा।सूर्यो ज्योतिज्योति:सूर्य:स्वाहा अग्निर्वरचो ज्योतिर्वाच स्वाहा। पहली 7 आहुति घी से इन मंत्रों के साथ 1 ॐ प्रजापतये स्वाहा। इदं प्रजापतये इदं न मम।। 2 ॐ इन्द्राय स्वाहा। इदं इन्द्राय इदं न मम।। 3 ॐ अग्नये स्वाह । इदं अग्नये इदं न मम।। 4 ॐ सोमाय स्वाहा। इदं सोमाय इदं न मम।। 5 ॐ भू: स्वाहा। इदं अग्नये इदं न मम।। 6 ॐ भुवः स्वहा। इदं वायवे इदं न मम।। 7 ॐ स्व: स्वाहा इदं सूर्याय इदं न मम।। All World Gayatri Pariwar Shantikunj, Haridwar Bharat