- *T&C:
हमारे पोस्टर को देखकर बहुत गुस्सा आया होगा ना आपको?
आता है, तो आने दो।किसी को क्या फर्क पड़ता है।
लेकिन, अगर फर्क पड़ता है आपको, तो ही आगे पढ़ें…
मुझे भी आता है सोशल मीडिया, अखबार या टेलीविज़न में हज़ारों पोस्टर देख कर, जिनपे लिखा होता है, “बलात्कारियों को फाँसी दो”। गुस्सा आता है बहुत आता है, और वो इसलिए की जब कोई बलात्कार की घटना बड़ी बना कर मीडिया में उठाई जाती है, तब ही हम भारतीयों के ये विचार क्यों उमड़ते हैं बलात्कारियों के खिलाफ! जबकि हर घटना वीभत्स और बड़ी है, हर पल कोई न कोई बच्ची, बेटी, बहन और अब तो माँ और दादी तक देश के किसी न किसी कोने में अपने सम्मान को खो रही हैं ऐसे दरिंदों के द्वारा। कुछ समय के लिए भावनाओं का ज्वार उमड़ता है और फिर सब शांत हो जाता है, हम सब अपने अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं और भूल जाते हैं की ऐसी कोई घटना हुई भी थी कभी।
देश में कितने ही बलात्कारियों को कानून द्वारा फाँसी या उम्रकैद दी गई होगी आज तक, पर क्या किसी एक भी बलात्कार का शिकार महिला का नाम या चेहरा याद है आपको या उस बलात्कारी का चेहरा जिसे मीडिया में देखा था आपने???
आज फिर डॉक्टर दिशा के बलात्कारियों को फाँसी दे भी दी तो क्या आज से कुछ महीने बाद आपको, मुझे या उन भावी दरिंदों को जिनकी मानसिकता में लड़कियों का शोषण करना भरा हुआ है, उनको याद रहेगी ये फाँसी? किसी को याद नहीं रहेगा और बलात्कार ऐसे ही होते रहेंगे क्योंकि डर खत्म हो चुका है जहन से हम सब लड़कों के…
आज अगर जरूरत है तो वो है डर बैठाया जाए हम लड़कों के मन में, और वो डर इतना भयानक हो की किसी लड़की की तरफ बुरी नज़र डालने से पहले भी रूह तक कांप जाए अंजाम सोच के। फाँसी देने से वो अपनी जिंदगी से तो हाथ धो बैठेगा एक झटके में, पर जो घाव नारी के सम्मान और शरीर पे उसने दिए हैं, उनके दर्द को महसूस कर पायेगा? कभी नहीं।
कुछ का कहना है की नपुंसक बना दो, जिससे जिंदगी भर सेक्स को मोहताज़ हो जाए, सेक्स को मोहताज़ तो हो जाएगा लेकिन क्या उस लड़की से बदला लेने के लिए उसकी बची हुई जिंदगी को सैकड़ों नए तरीकों से बर्बाद नहीं कर देगा, या जान से नहीं मार देगा उसे? कुछ भी हो सकता है।
आज एक नए कानून की देश में जरूरत है, और सरकार हर पक्ष से सुझाव मांग रही है क्योंकि निर्णायक स्थिति में पहुँचना बहुत जरूरी है अब। मेरा सुझाव है की कानूनी प्रक्रियाओं द्वारा बलात्कार का दोषी पाए जाने के बाद उस इंसान के
1. दायाँ हाथ कंधे के पास से और दायाँ पैर कमर के पास से काट दिया जाए (बैशाखी लेकर भी ना चल सके)
2. लिंग काट दिया जाए (दवाओं से नपुंसक नहीं बनाया जाए)
3. हॉस्पिटल में उसका समुचित इलाज़ करके उसे जीने के लिए छोड़ दिया जाए घर पर उसके
4. सभी मीडिया हाउस एक साल तक समय समय पर उसकी दुर्दशा को अखबार, tv, सोशल मीडिया में दिखाएं कि कैसे जीते हुए भी वो मौत के लिए भीख माँगता हैजब उसकी दुर्दशा बार बार हम लड़कों को अलग अलग माध्यम से दिखती रहेगी, तब कहीं जाकर जेहन में एक डर बैठेगा और ये डर ही किसी भी महिला के लिए गलत सोचने से भी दूर रखेगा हमारे दिल और दिमाग को। ये डर तब हर लड़के के दिल-दिमाग में बैठ जाएगा, जब किसी भी बलात्कार की घटना, भविष्य में कानूनी रूप से सिद्ध होने के बाद, उस बलात्कारी का भी यही अंजाम देखेगा बार-बार हर बार…
इसलिए बलात्कारियों को फाँसी मत दो, उन्हें भी जीने का अधिकार है…लेकिन, मौत से बद्तर जिंदगी।
अगर आप भी मेरे विचारों से सहमत हों तो इस पोस्टर और इस संदेश को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक
#बलात्कारी_को_फाँसी_मत_दो
या
#DoNotHangRapist
हैशटैग के साथ पोस्ट करें/पहुंचाएं, उन्हें टैग करें, अपने खुद के पोस्टर बनाके संदेशों के साथ डालें, जिससे ये सुझाव हमारे देश के माननीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कानून मंत्री, गृह मंत्री और सभी मीडिया हाउस तक पहुंचे और ऐसे किसी कानून के बनने का मार्ग खुल सके।किसी अपने के साथ ऐसी घटना को रोकने के लिए आज ही कदम से कदम मिलाएं।
जय हिन्द!
अंकुर अग्रवाल, दिल्ली
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