बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानी चमकी बुखार से होने वाले बच्चों के मौत का आंकड़ा 125 तक जा पहुंचा है. मुजफ्फरपुर से शुरू हुई ये बीमारी अब राज्य के अन्य जिलों को भी अपनी चपेट में ले रहा है. अकेले मुजफ्फरपुर में एईएस से अभी तक 101 बच्चों की मौत हुई है, तो वहीं पटना से सटे हाजीपुर में 11 मासूम की मौत हुई है.
मुजफ्फरपुर से सटे समस्तीपुर में इस बीमारी से अब तक 5 बच्चों की मौत हुई है तो वहीं मोतिहारी में भी इस बीमारी ने अब तक 5 बच्चों की जान ले ली है. राजधानी पटना के सबसे बड़े अस्पताल PMCH में एक बच्चे की एईएस से मौत हुई है. बेगूसराय सदर अस्पताल में एक बच्चे की मौत चमकी बुखार से हुई है जबकि नवादा में भी एक बच्चे की मौत का मामला सामने आया है. हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है.
प्रेशर के बावजूद SKMCH के डॉक्टरों ने बखूबी काम किया और हमारी पूरी कोशिश होगी कि बार-बार ऐसी परिस्थिति ना आये. डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस घटना के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता. सभी लोग मिलकर ही काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये (एईएस) बीमारी किसी वायरल वजह से नहीं होती है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन, अश्विनी चौबे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने मुजफ्फरपुर का दौरा कर इस बीमारी से होने वाली मौतों का जायजा लिया था. बाद में हर्षवर्धन ने कहा कि विभाग को 100 बेड का अलग ICU बनाने का निर्देश दिया गया है. साथ ही इस बीमारी के लिए अस्पताल में अलग से आईसीयू भी बनेगा.
डॉ. हर्षवर्धन ने SKMCH में बने ICU से नाराजगी जताई थी. उन्होंने कहा कि बिहार के 5 जिलों में वायरोलॉजी लैब बनाने की जरूरत है. मैंने सभी काम को अगले 1 साल में पूरा करने का निर्देश दिया है. पत्रकारों से बीतचीत करते हुए हर्षवर्धन कहा कि मैंने यहां 4 घंटे में 100 मरीजों को देखा और सभी के परिजनों से विस्तार से बातचीत की
हर्षवर्धन ने कहा कि मैंने एक डॉक्टर होने के नाते भी लोगों को देखा है और हर बात की बारीकी से जानकारी ली है. जहां तक एईएस से मौतों की बात है तो पिछले वर्षों में इसमें कुछ कमी आई थी. 2014 में ज्यादा संख्या में केस सामने आए थे पर इस साल फिर इसकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है. सभी मरीजों के लक्षण एक जैसे हैं लेकिन जो समय पर अस्पताल पहुंचे उनको बचाया जा रहा