कानपुर के अस्पतालों का फिर दिखा घिनौना चेहरा इस बार सिंधी हॉस्पिटल में हुआ दर्दनाक हादसा

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कानपुर के अस्पतालों का फिर दिखा घिनौना चेहरा इस बार सिंधी हॉस्पिटल में हुआ दर्दनाक हादसा

पोस्ट करके पति ने अपने दर्द का बयान किया

भाइयों एक रिक्वेस्ट है कि मेरे इस पत्र को अवश्य पढ़ें

भाइयों एक बेहद दुखद घटना आप लोगों को बता रहा हूं कि मेरी धर्म पत्नी जो पिछले 9 महीने से गर्भवती थी और डॉक्टर रेनू भाटिया आर के सिंधी संघ मैटरनिटी सेंटर गोविंद नगर कानपुर से जिनका इलाज चल रहा था 10 मार्च को डिलीवरी वाले दिन बहुत उत्साह के साथ उन्हें लेकर अस्पताल गया और डॉक्टर रेनू भाटिया को दिखाया भीड़ ज्यादा थी उन्होंने किसी औरत के साथ उसे डिलीवरी रुम में भेज दिया और नॉर्मल डिलीवरी करा दी गई जिससे मेरी बेटी का जन्म हुआ और बाद में उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया जब हम वार्ड पहुंचे तो वह कांप रही थी उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी हमने स्टाप को बताया तो उसने कहा सब नॉर्मल है फिर भी दिक्कत कम नहीं हुई तो उसने कोई डिप लगा दी फिर ऑक्सीजन लगा दिया फिर भी उसकी हालत ठीक नहीं हुई हम बार बार उन से रिक्वेस्ट कर रहे थे वह सब कुछ सही होने की बात मनवाने पर तुली रही और घंटों तक यहां कोई डॉक्टर नहीं आया पता नहीं क्यों और बाद में जब डॉक्टर आए तो और डॉक्टरों को बुलाया और पूरा स्टाफ ने एक झुंड बनाकर हमारी पत्नी को घेर लिया और ना जाने क्या देखा और क्या किया फिर हमसे कहा इन्हे हार्ड की कोई बीमारी है इन्हें कार्डियोलॉजी ले जाइए मैंने कहा ठीक है फिर कहा पीपीएम ले जाइए फिर कहा रीजेंसी ले जाइए फिर कहा आप इन्हमेरैलट इमरजेंसी ले जाइए हमने एंबुलेंस मंगवा दी है और एक कागज मोड़कर हमें पकड़ा दिया और तत्काल उसे वैन में रख दिया मैंने कहा आप भी तो चलेंगे तो साफ इंकार कर दिया और हम 10:30 बजे हैलट के लिए निकले 10:50 पर हम हैलट पहुंचे वहां डॉक्टर ने जच्चा बच्चा क्यों नहीं गए पूछा तमने बताया कि यही भेजा है फिर उन्होंने गंभीर हालत देख कर कहा ठीक है इन्हें बेड पर लिटाइये और हमने जैसे ही उसे उठाया स्ट्रक्चर में खून भरा पड़ा था जो हमसे अभी तक पूरी तरह से छुपाया गया था तुरंत डॉक्टरों ने खून लाने के लिए कहा हम खून लेने पहुंचे ही थे कि फोन आ गया कि वापस आ जाऊं और रात 11:30 बजे मुझे मेरी पत्नी की डेड बॉडी शाैप दी मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है मैं बेसुध सा हो गया था

भाइयों मेरी पत्नी की डिलीवरी शाम 7:00 बजे कराई गई और रात 11:30 बजे उसकी मृत्यु हो गई लगभग 4:30 घंटे तड़पती रही आखिर अस्पताल वालों ने ऐसी कौन सी लापरवाही की थी जिसे छुपाने के लिए मुझसे हर बार झूठ बोला गया मुझे दिलासा दी जाती रही थी वह ठीक है और मृत्यु निकट आने पर उसे अस्पताल से हटा दिया गया इस तरह उसकी षड्यंत्र के तहत हत्या की गई है ताकि लोग खुद को बचा सके यदि समय रहते मुझे वास्तविकता से अवगत करा दिया होता और समय पर उसे रिफर कर देते तो मुझे पूरी उम्मीद है कि वह बज जाती मैं जानता हूं कि वह बहुत हिम्मती थी वह उसकी हिम्मत ही थी कि 4:30 घंटे तक वो मौत से लडी और इतना समय उसे बचाने के लिए बहुत होता पर ऐसा हो ना सका और मेरी पत्नी मुझे और अपनी दुधमुंही बच्ची को छोड़कर चली गई
भाइयों जो मेरे साथ किया गया है मैं मानता हूं कि ऐसा अन्याय और किसी के साथ ना हो जो दर्द मुझे मिला है वह असहनीय है इसलिए मैं इस अन्याय के खिलाफ लड़ रहा हूं और दर-दर भटक रहा हूं

दोस्तों दुख की घड़ी में मैंने यह पत्र इसी विश्वास के साथ लिखा है कि आप मेरा साथ देंगे और मेरे इस पत्र को और लोगों तक अवश्य पहुंचाएंगे

विक्रम सिहं कानपुर _

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