जन्म कुण्डली क्या है ???

What is horoscope ???

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नमस्कार दोस्तों,
मैं मानस मुखर्जी आज आप से जन्म कुंडली के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ।
जन्म कुण्डली या जन्म पत्रिका इस शब्द से आप लोग भली भातिं परिचित होंगे , फिर भी आपके मन मे ये प्रश्न उठता होगा कि किसी व्यक्ति विशेष या जातक की जन्म कुण्डली या जन्म पत्री से उनके जीवन मे घटित होने वाले घटनाओं का पूर्व अनुमान कैसे लगाया जाता है। हालांकि जन्मपत्री किसी जातक के कई पहलुओं को उदभासित करता है जिसे एक बहुत ही पेचीदा गणितीय आंकड़ों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
आकाश में दो प्रकार के प्रकाश पिंड दिखाई देते हैं। प्रथम वे जो स्थिर दिखाई पड़ते है पर वो स्थिर होते नही है, नक्षत्र कहलाते हैं। दूसरे वे जो नक्षत्रों के बीच सदा अपना स्थान परिवर्तित करते रहते हैं, ग्रह कहलाते हैं। जन्म के समय से ही ये जातकों पर अपना प्रभाव जातकों पर उसके तत्काति स्तितियों के अनुरूप डालती है। जिसके कारण जातकों के कई पहलुओं पर इसका सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
जब इसके कई पहलुओं का गणितीय आंकड़ा और उसके प्रभाव या दुष्प्रभाव को बर्षफल या भाग्यफल साथ ही साथ जातक के गुण या दोष को उदभासित किया जाता है तो इन आंकड़ों को जन्मकुंडली या जन्म पत्रिका का नाम दिया जाता है।
वर्तमान समय में राशिचक्र के बारह भाग कर जन्मकुंडली के फलादेश की जो प्रणाली प्रचलित है इसका उल्लेख भार के प्राचीन वैदिक साहित्य में नहीं है। किन्तु अथर्व ज्योतिष में बहुत पहले से ही इस पद्धति के मूल तत्व निहित हैं।किन्तु अथर्व ज्योतिष में बहुत पहले से ही इस पद्धति के मूल तत्व निहित हैं।इसमें राशिचक्र के २७ नक्षत्रों के नौ भाग करके तीन-तीन नक्षत्रों का एक-एक भाग माना गया है। इनमें प्रथम ‘जन्म नक्षत्र’, दसवाँ ‘कर्म नक्षत्र’ तथा उन्नीसवाँ ‘आधान नक्षत्र’ माना गया है।
जन्म कुण्डली में इसका विशेष स्थान तो है ही लेकिन इसका सटीक प्रभाव जानने के लिए जन्म का सटीक विवरण देना आवश्यक है, जैसे जन्म स्थान(,अक्षांस देशांतर) समय, तिथि ।
इस विवरण में समय खगोलीय तथा भोगोलोक स्तितियों को दर्शाती है और इससे ये पता चलता है कि जातक के ऊपर भौगोलिक तथा खगोलीय प्रभाव किस प्रकार पड़ता है। भौगोलिक तथा खगोलीय स्तितियों को ध्यान में रख कर ही 12 राशियों की खोज गर्ग मुनि ने किया था।जिस तरह आकाश मण्डल में बारह राशियां हैं, वैसे ही वर्तमान समय में कुंडली में बारह भाव (द्वादश भाव) होते हैं। जन्म कुंडली या जन्मांग चक्र में किसी के जन्म समय में आकाश की उस जन्म स्थान पर क्या स्थिति थी, इसका आकाशी नक्श है।हिन्दू ज्योतिष इनको ” भाव ” कहते हैं। अंग्रेजी में ‘हाऊसऔर फारसी में 'खाना कहते हैं। ये कई शैलियों में बनाये जाते हैं जिसके हर भाव जातकों के विशेष पहलुओं को प्रदशित करती है और इसे समझने के लिए ज्योतिष ज्ञान का होना जरूरी है।
आशा करता हूँ कि अपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी हमे इसी तरह प्रोत्साहित करते रहिए जिससे कि हमे एक प्रेरणा मिले आगे बढ़ने का और लोगों का कल्याण करने का

धन्यवाद
तंत्र सम्राट मानस मुखर्जी
धधकिया बोकारो(झारखंड)

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